आज मैं एक प्रयास करने जा रह हूँ एक हिन्दी ब्लोग लिखने का देवनागिरी मैं।
सबसे पहले एक कविता का प्रसंग हो जाये।
वो पथ क्या पथिक-कुशलता क्या
जिस पथ पर बिखरे शूल ना हो|
नाविक की धैर्य कुशलता क्या
जब धारा ही प्रतिकूल ना हो|
यह किसी महानुभाव ने कहा था, जो मुझे अच्छा लगा और मैंने सोचा कि इसको और लोगों पर पहुचाया जाएँ।
मैंने अपनी अधिकतर शिक्षा हिन्दी मे ही की हैं लेकिन हिन्दी मे लिखें मुझे एक अरसा हो गया है, इसलिए शुद्ध हिन्दी का प्रयोग नहीं कर पा रह हूँ। इस बात के लिए मुझे शमा किजेयेगा।
धन्यवाद,
आपका मित्र,
प्रियांक.