आज मैं एक प्रयास करने जा रह हूँ एक हिन्दी ब्लोग लिखने का देवनागिरी मैं।
सबसे पहले एक कविता का प्रसंग हो जाये।
वो पथ क्या पथिक-कुशलता क्या
जिस पथ पर बिखरे शूल ना हो|
नाविक की धैर्य कुशलता क्या
जब धारा ही प्रतिकूल ना हो|
यह किसी महानुभाव ने कहा था, जो मुझे अच्छा लगा और मैंने सोचा कि इसको और लोगों पर पहुचाया जाएँ।
मैंने अपनी अधिकतर शिक्षा हिन्दी मे ही की हैं लेकिन हिन्दी मे लिखें मुझे एक अरसा हो गया है, इसलिए शुद्ध हिन्दी का प्रयोग नहीं कर पा रह हूँ। इस बात के लिए मुझे शमा किजेयेगा।
धन्यवाद,
आपका मित्र,
प्रियांक.
मित्र प्रियांक!!
ReplyDeleteतुम्हारा जोश देख कर हमको भी आज थोड़ा जोश आया और हम तुम्हारे इस प्रास के लिए तुमको हार्दिक शुभ्काम्नइए देते हुए, हिन्दी भाषा में ही तुम्हारे कार्य की सह्रना भी करते हैं !
वत्स लिखते रहो ...
तुम्हारा पुराना अन्दाले का सहकर्मी और मित्र,
नितिन गुप्ता,
Nice man.. carry on
ReplyDeletegood initiative
ReplyDelete